
उद्धवबहादुर के.सी.( ज्वालामुखी )
परिभाषा : रोजगारीक लेल अप्पन जन्मभूमि स बाहर विदेश में रहनिहार के वैदेशिक रोजगार कहल जाइ छई ।
रोजगारी , जिविकोपार्जन एवम् आर्थिक लाभ हेतु एक जगह स दोसर जगह जयबाक परम्परा सदियो स निरन्तर चैल रहल छइ । मुदा घर छोडी रोजगारीक लेल विदेश जाइके लहर पिछला २०४६ साल के परिवर्तन पश्चात् अधिक होमैय लागल
सुखी जीवनक लेल धन आर्जन आवश्यक होइछई । धन आर्जन आ जीविकोपार्जन इ दुनु अलगअलग बिषय थिक । सामान्य जीवन निर्वाहक लेल सामान्य आम्दानी सँ काज चैइल सकैय । मुदा सामान्य आम्दानी सँ वर्तमान समयक भौतिक सुविधा उपभोग नइ क ऽ सकैय छि । कृषिपर आधारित आम्दानी स शिक्षा , स्वास्थ्य एवम् अन्य सुविधा प्राप्त कैयनाइ लगभग असंभव भेला सँ हरेक घरक युवा धन कमाबैय खातिर पढाइ के अधुरा छोइड पासपोर्ट खातिर सिडियो अफिस में लाइन लागल रहैय छैथ । मुदा किछ युवा बाहेक लगभग शतप्रतिशत बिदेश दिश डेग बढनिहार अदक्ष , भाषाक असुविधा एवम् प्रयाप्त जानकारी बेगर आनक देखासिखी में देश छोइड रहल छैथ । माने पहिल कोर में काँट । बाँकी यात्रा अन्हार में ढेला फेकनाइ समान बुझहु । बाबजुद सिरहाबासी देशक लेल निक रेमिटेन्स भेज रहल छैथ । ताहीलेल आभारी छि । मुदा फेर प्रश्न इ छइ जे उपलब्धि कि भेटल ?
आर्थिक रुप स बहुत युवा धन आर्जन कैयलक संगही सामाजिक एवम् पारीवारिक विखण्डन सेहो कैयलक । गरीबी स अभाव जरुर रहैय मुदा तनाव बहुत कम रहैय । मुदा अखन सिरहाबासी के सम्पत्ति भेलाक बादो पहाडी समुदाय स हरेक बिषयक सुचकांक सँ निचा छैइ ।
मूलभूत रुपस गरीबी निवारण के लेल , शिक्षा , स्वास्थ्य के लेल एक नियमित आर्जन होयबाक चाही । दुर्भाग्य ! धन कमैयलाक जे काज नइ होमक चाही से भ ‘ रहल छई । फजुल बिबाह में बाजा , कैटरिङ्ग , असंख्य बरियाती , होटल पैलेश में भोजभात , दहेज में जानलेबा भटभटिया मोटरसाइकल सबके चाहिँ , विशाल मृत्यु भोज , घरक पुजा , पुर्खा के जमिनजेथा सस्ता बेचक ऽ गोलबजार दिश महग में घरारी खरिदक ऽ सब पसिनाक ढौवा स्वहा । परिणाम , बेर बेर बिदेश के चक्कर लगाउ ।
एक अव्यवहारिक गैरजिम्मेवार लडका के दहेज में मोटरसाइकल उपहार देनाइ बिलकुल गलत संस्कार थिक । बहुत लडका १० साल के भितर सवारी दुर्घटना में मृत्युवरण कैयलक ।
शिक्षा में तहिना बिना मापदण्ड के हरेक गाम में निजी स्कुल जकरा हमसब अपभ्रंश शब्द ” बोरिङ्ग ” कहैय छि ; से खुलिगेल । मुदा निक नैतिकवान , उत्प्रेरक , कुशल , समाजसेवी एक कुलके प्रतिष्ठा कायम कैयनिहार उत्पादन करैय में असफल छैथ । दुर्भाग्य ! अहि शिक्षाक एक कुशल गुरु ( बाप ) बिदेश में मजबुर छैथ । ऐम्हर बेटा अंग्रेजी के दुषप्रभाव सँ बियर , कडगर दारु ( वाइन , लिकर लागू ) संगही लागुऔषध के कुलत सँ परिवार पुर्णरुपेण प्रताडित छैथ । ऐहन कुलत में फँसल युवाक सवारीसाधन अकसर दोसर के सडक मे हत्या कैयने छैथ ।
समग्र में बैदेशिक रोजगारक पहिल मकसद गरीबी , अशिक्षा , रोग एवम् अभाव के दूर कैयनाई अछि । मुदा रोजगारी स प्राप्त धन अनुत्पादक क्षेत्र खर्च भ ‘ रहल छई परिणाम बहुत परिवार में सुखक सपना साकार नइ भ ‘ रहने स वो परिवार समाज एवम् देशक लेल बोझ बनिगेल गेल छइ ।
धन कमेलाक बाद गामक ऽ अपुताली अचल सम्पत्ति ससुराइरक दहेज सस्ता में बेचक ऽ छोटमोट बजार में अति कम जमिन में पर छोटछिन पक्का के घर बनेने सँ गौरवान्वित महशुस करैय छैथ । बहुते युवा देखासिखी स फाइनान्स में भटभटिया खरिद क जान बरबाद क ‘ लैइ छैथ । कतेक युवा जेल में कष्टकर जीवन व्यतीत करैय छैथ । बेटीबला के दहेजक बोझ स बेरबेर विदेश दौडैय पडैय छई । अही क्रम में माइबाप के देहावसान भेला क बाद दाहसंस्कार के लेल नइ पहुँच सकैय छैथ । बिदेश सँ अयलाक बाद काजकिरिया एवम् भोज में बेधडक खर्च करबाक लेल जातिय समाज एवम् संस्कृति मजबुर बनबैय छैथ । इ अनुत्पादक अभिशप्त क्रियाकलापक कारणे पुन: अभावक सिलसिला जारी होमैय लागैय छई ।
निवेदन : बिराटनगर किय कोशी , मेची आ सगरमाथा में पहिल नम्बरक शहर छई । जाही समयमें सुखिपुर में नीक हाट बजार रहैय ताही समय में इटहरी में बजारक निशान नइ रहैय । हम २०३२ साल में पहिलबेर इटहरी आइल रही । बस चौरस्ताक पुरुब एगो हलुवाइ के दोकान रहैय ।
अच्छा बजारक बिस्तार कोना होइ छई ? मुद्रा विनिमय के आधार स बजारक बिस्तार होइछई । हम बिदेश स जतेक कमाबैय सबटा ढौवा बिराटनगर , काठमाडौं दिश बोरिङ पढहाबक लेल तहिना उपचारक लेल बरबाद भ ‘ रहल छई । अधिकांश नवयुवक गाम छोडीक ,’ छोट छोट बजार में सारा पसिना बरबाद क ‘ रहल छई । एवम् प्रकारस ग्रामीण संस्कृति बरबाद भ ‘ रहल छई । निवेदन अछि जे गामघरमे हाटबजार लगाओल जाय । अखन गामघर सगरे गाडी घोडा उपलब्ध भ ‘ रहल छई । कोनो खास कृषि उत्पादन करु , डेरी , मधुमख्खी पालन , माछक बेपार , खसी बकरी पालन संगही निजी आ सरकारी सार्वजनिक जमिन में वृक्षारोपण करु । छोट छोट उपचारक लेल Dispensary खोलल जाय । २५/५० बरिष में अस्पताल में बिस्तार भ ‘ सकैय । निक स्कुल , सक्षम शिक्षक एवम् भौतिक सुविधा सम्पन्न स्कुल खोलु । हरेक धार्मिक समुदायहरुको बिच मन्दिर , मस्जिद , गुरुद्वारा , गहबर , थान एवम् चर्च बहुत भगेल छई । बदला में सामुदायिक भवन निर्माण करु ।
सामाजिक एकता एवम् सद्भाव : समाजक निर्माण हेतु अनेकन प्रकार सँ समुदाय बिच संयोजन एवम् संगोर कैयलाकबाद एक सुदृढ देशक निर्माण संभव हो छई । अखन एकता एवम् सद्भावक अभाव होमैय जा रहल छई । वैदेशिक रोजगार स प्राप्त ज्ञान एवम् धन सँ दिनदिन एकल परिवार एकलबादी चिन्तन दिश डेग बैढ रहल छई। कारण बहुतरास अइछ । प्रथम कारण पलायनबादी सोंच बसाइँसराइ सँ पुरान समुदायक सम्बन्ध विच्छेद संगही नव समाज सँ जुटैय में वर्षौं बित जाइछई । अहि बिच कुन्ठा स बहुत लोक मानसिक तनाव सँ पीडित देखल गेल छई ।
हम सिरहा सुखिपुर -६ बडहरी गामक रहनिहार हाल भगौडा हालत में बिराटनगर बैसल छि । बिराटनगर में सारा ज्ञान , उर्जा एवम् लगानी Mission Green City Biratnagar बनाबक लेल उत्सर्ग कैयने छि । राम रिझन भैयाक माध्यम स मधेसी समाजक मद्दत भेटैय त मधेसी के सम्मान मे कोनो कसर नइ राखब । मुदा हम कोनो राजनीतिक पार्टीक कहियो सदस्य नइ रहलौं । तैंइ सहयोग नइ चाहैय छि ।
अन्त्य में इ कहब जे खैनी , गुटखा , पानपराग , गाँजा सिगरेट , हुक्का नइ पिबु । हम अही सेवन स क्यान्सर पीडित छ । संगही प्लाष्टिक संकलन कयलाक बाद आइग नइ नेसु । अही अहींटा नइ सगरे समुदाय मालजाल संगही उर्वर माटीक जीवन समाप्त । तैंइ कही छि दु::ख सँ धन आर्जन कैयन छि । सत्कर्म करु पुँजी दुरुपयोग नइ सदुपयोग करु । अभिमान आ बिभेदक खेती छोडु । जय श्री सीताराम सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय ।
आलेख लेखककाे ठेगाना : एटर्नी उद्धवबहादुर के.सी.( ज्वालामुखी )
सामाजिक सञ्जाल TIKTOK बाजे बुरानगर
साबिक सिरहा सुखिपुर हाल भगौडा जीवन बिराटनगर -५
uddhabk1@gmail.com
धन्यवाद
माघ ५, २०८१ साल